नया गीत , नया आनन्द, हम पुनर्जीवन की जनता…….
मरियम मग्दलेना सप्ताह के प्रथम दिन, तडके मुँह आँधैरे ही, कब्र के पास पहुँची। उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा दिया गया है’ (योहन 20:1) ।
जिन्हें, मसीहा माना था, वे क्रूस पर मारे गये, कब में उनका अन्तिम संस्कार किया गया, यह सोच कर जो शिष्य हताश-निराश हुए, उम्हें मिली “एक निशानी थी, हटाया गया पत्थर” मृतक का कब में अन्त नहीं हुआ, वे पुनर्जीवित हुए खुली कब्र इसकी घोषणा करती है। पुनर्जीवित शरीर को जाने के लिए कब की ढवकन नहीं हटानी चाहिए थी। मगर थके – माँदे शिष्यों को खुली रही कब्र को देखना था, मानो उत्थान-रहस्य के द्वार को खोल दिखाया गया हो। आप लोग जीवित को मृतकों में क्यों ढूँढती है ? वे यहाँ नहीं है – वे जी उठे हैं (लूकस 24:5) । ईसा के पुनर्जीवन और मृत्यु पर जीत की निशानी है. हटाया गया पत्थर …….
जिन्होने पुनर्जीवित इंसा को देखा…
ईसा ने उसे बुलाया : मरियम ‘ उसने मुड कर इब्रानी मॅ उनसे कहा रब्बोनी’ अर्थात् गुरुवर (योहन 20 :16) । अश्रुवर्ष में प्रिय गुरु को शिष्य न पहचानते थे. उनके कान पर पडा स्वरा ! मरियम’ । जब उसने उत्थित को पहचाना, तो उसकी भीगी आँखों में मुस्कान के भाव प्रकट हुए । एम्माबुस जाने वाले शिष्यों को भी ऐसी एक पहचान मिली । इस पर शिष्यों की आँखें खुल गयीं और उन्होंने इंसा को पहचान लिया ( लूकस 24 : 31) । जब उन्होंने उनसे बातें कीं तब उनका दिल प्रज्वलित हुआ और वे पूरी खुशी के साथ येरुशालेम लोटे। उत्थान के बारे में जिस किसी ने जाना उसे जीवन भर में निराशा नहीं होना पडेगा। यह डिट्रीच बोनहोमर का कथन है , जो उत्थित ईसा को देखे शिष्यों का आदर्श देख कर बोले । उत्थित को देखना कितना तीव्र अनुभव है । सुसमाचार ने इसे बार बार बताया है । अविश्वास जन्य हठ के साथ थोमस खडे हुए थे, उसके सामने उत्थित ईसा प्रकट हुए। दृश्य-समृद्धि के आनन्द के सूचक शब्द निकले : मेरे प्रभु । मेरे ईश्वर । (योहन 20 : 28) ।
यह मुलाकात जीवन मे सम्पूर्ण कायापलट का कारण हो गयी। पैर से पृथ्वी पर चलो, किन्तु हृदय से स्वर्ग में रहो – यह डोण से पृथ्वी पर चलो, किन्तु हृदय से स्वर्ग मै रही -यह डोण बोस्को का सपना है, उत्थित का अनुभव करते शिष्यों के जीवन में हम यह देख सकते हैं। आदिम ईसाइयो का जीवने उत्थान का सबसे वडा साक्ष्य हैं। जिन्होंने पुनर्जीवित ईसा को देरप्रा, उनके शब्द भ्रातृत्व, बंटवारा आदि एक नये सपने के आगमन का सूचक थे। कुछ सालो के पहले शिष्यों ने मछुआरों का काम छोड दिया था, उस और वे लोटने वाले थे, किन्तु पुनर्जीवित ईसा को देखा, तो वे उनकी छाया में बापस आते हैं। ब्रन्दीगृह में श्रृंखला बद्ध होकर रहे शिष्यों ने भजन गया क्योंकि बिस्वास अटूट था (प्रे.च. 16 : 25)। वे स्वार्थ की प्रेरणाओं को तोड कर अपनी सारी संपत्ति बेच कर बाँट देते हुए सेव – कर्म का भला आदर्श पेश कर पाये (प्रे.च 4:34) । जब शहादत की खबर चारों ओंर सुनाई देती है, मैं भी तेयार हुँ, कहते हुए आगे बढने वाले नये विश्वासी पेदा होते हैं। पुनर्जीवित ईसा को देखने के बाद ही शिष्य उनके शहीद बन जाने लगे। इसलिए आदिम ईसाई अपने को उत्थित ईसा के साक्षी मानते थे। उन्होंने उत्साह के साथ ईसा के पुनर्जीवन के बारे में घोषणा की, जो गेर ईसाइयों के लिए मूर्खता था (प्रे.च.17 : 18) ।
आत्मा की भरमार का नया समय
इन शब्दों के बाद ईसा ने उन पर फूंक कर कहा, पवित्र आत्मा को ग्रहण करो (योहन 20 : 22)। उत्थित का इनाम हैं पवित्र आत्मा की भरमार । आत्मा की वर्षा से शिष्य एकदम नबीनीकृत हो जाते हैं । कल मैं उनके साथ कुस पर चढाया गया, आज मैं उनके साथ महत्व पाता हुँ। कल उनके साथ मर गया, किन्तु आज मैं उनके साथ पुनर्जीवन पा चुका हुँ । कला उनके साथ कब्र में दफनाया गया, किन्तु आज उनके साथ जाग उठना है (सन्त ग्रिगरी) । पतन के पूर्वकाल भे नये जौबन के प्रभात को और बढना, उत्थान का सन्देश है । अपने निधन के पहले ईसा ने आनेवाले आत्मा के बारे में उनके बरदानों के बारे मै कहा था। ’ तुम्हारा जी घबराये नहीं, भीरू मत बनों ‘ (योहन 14 : 27) । उनके उत्थान के साथ पवित्र आत्मा की वर्षा जन्य नयी बहार आ गयी । तब तक अनसुनी रही जीवन चर्या उत्थान’ द्वारा पेश की गयी ।
आनेवाले दु:ख- भोग, मरण और पुनर्जीवन के बारे में ईशा ने पूर्वसूचना दी थी। उकौने वादा किया कि जब पवित्र आत्मा कर्मण्य होंगा तब दु:ख के बदले खुशी आयेगी। मगर मै तुन सै फिर मिलूँगा. तब तुम्हारा दिल खुस होगा। तुम्हारी खुशी तुमसे कोई नहीं ले जायेगा। उरा दिन तुम मुझसे कुछ नहीं पूछोगे (ओमन 10: 22-23)। इस नbसन्तोष की मस्ती मॅ धार्मिक यंत्रणाओं के बावजूद भी आदिम कलीसिया फूली फली । क्रूस पर चढाया गया, जंगली जानवरों के लिऐ शिकार बनाया गया, कच्चे शरीर पर तेल लगा कर कोलोसियम के सामने सडक पर जिन्दा जलाया गया. क्रिन्तु आदिम ईसाई भजन गाता रहा । मृतक के पुनर्जीवत के बाद नये आनन्द की. नयी अंगूरी का समय शुरू दुआ ।
सन्त जोण पॉल द्वितीय ने एक बार कहा कि अपने को निराशा का शिकार न बनाओ। हम पुनर्जीवन की जनता हैं । ‘ हालेलूय्या’ हमारा गीत है । पॉप ने इस नये काल के मारे में यह कडा। क्रुसी मृत्यु के साथ उनका समय बीत गया, जिनके गारे में लोगों ने यह सोचा , वे उत्थान के महत्व के साथ लोट आये तो नया आनन्द ,नव जीवन क्रम और नयी आशा की स्थापना हुई । दुनिया जिसे पराजय मानती है, यह उत्थान की रोशनी में विजय है । जिन्हें नुक्सान माना था, वे लाभ बने। जिन्होंने ईशा को क्रुस पर चढाया , वें पराजित हुए, क्रुसित व्यक्ति विजयी हुए । जिन्होंने यह स्रोचा फि अपना सबकुछ खो गया. ये शिष्य उत्थित के बारे में घोषणा करते मुए पूरे इस्राएल में आँधी खडा करते हैं , यह एक चमत्कारी दृश्य हैं। हम विश्वासियों को उत्थान बिजय और आशा की निशानी है।
हम खुशी मनाएँ. हम पुनर्जीवन की जनता ,आनन्द्र. जो नहीं मिटता, वह हमारा हक हैं । ०
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