ईसा का पुनर्जीवन : स्वर्गीय पिता का
हमारे प्रति इनाम,,,,,,,
ईश्वर हम को प्यार करता है । यह इससे प्रकट हुआ है कि ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में भेजा, जिससे हम उसके द्वारा जीवन प्राप्त करें (1 योहन 4:9) । इस दुनिया में जीनेवाले हम सब इस पृथ्वी में ही स्वर्गीय आनन्द पूर्णता के साथ भोग लें, इसके लिए ईश्वर ने अपने प्यारे पुत्र को पृथ्वी भेजा। पूरी मानवजाति को पिता ईश्वर के लिए रक्षा प्रदान करें इसके लिए प्रभु ईसा ने अपने आप को मूल्य के रूप में दे दिया. और कालवरी पहाडी पर खुद को बलि पढाया। मगर पिता ईश्वर ने अपनी हमदर्दी से उम्हें तीसरे दिन पुनर्जीवन ये दिया, और वे सदा जिन्दा रहते हें 1 क्योंकि आगे चल कर उन पर मृत्यु को कोई अधिकार नहीं।
पिता ईश्वर ने हमें बेशर्त प्यार किया औंर वे इसलिए अपने एकलौते बैठे को दुनिया भेजने तैयार हुए। इसलिए ईश्वर वचन हमसे बताता है : किन्तु हम पापी ही थे, जव मसीह हमारे लिए मर गये थे । इससे ईश्वर ने हमारे प्रति क्यों प्रेम का प्रमाण दिया है (रोमि 5:8)।
मृत्यु को परास्त करके उत्थान किए हमारे प्रभु आज भी पृथ्वी में जिन्दा हैं। अत: इस दुनिया तथा आने वाले राज्य में हमें जितने सारे अनुग्रह मिलेंगे, वे हमारी कल्पना के परे हैं । ईसा के टु:ख-भोग, क्रूसी मृत्यु और उत्थान ईश्वर को हमारे प्रति प्यार की महान अभिव्यक्ति था (योहन 3:16) । जैसे आप का वचन हमसे बताते हैं, हमारे पिता हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिए,.गोलगोथा में खुद को बलि चढा कर हमें नित्यजीवन का हकदार बनाया। हम अपने सारे पाप-स्वभावों को छोड कर ईसा के लिए जीते हैं तो उनके ज़रिए हम नित्य जीवन अपनाएँगे वैसे हमारी ईश्वरीय खुशी स्वीकारेंगे। सबसे बढ का हम ईश्वर – पुत्र की हैसियत पायेंगे । जितनों ने उसे अपनाया और जो उसके नाम में विश्वास करते हैं, उन सबों को उसने ईश्वर की सन्तति बनने का अधिकार दिया’ (योहन 1 : 12) ।
हम उनके नाम को प्यार करें, पूर्ण ह्रदय और पुर्ण शक्ति के साथ उन्हें खोजें, उन पर अटल आस्था रखें, तो ईश्वर सन्तान बनने की कृपा हमे देगें । हम इस दूनिया में दर्द और आँसु के साथ अपने विन बितायें, ईश्वर को ऐसी चाहत नहीं । इसके बदले ईसा की भाँति हम स्वर्गस्पा पिता की इच्छा खोंजे उनकी चाहत के अनुसार जीवन बिताये और उनके नित्यजीयन का हकदार बर्ने, यह ईश्वर की इच्छा है। जो लोग ईसा मसीह के है, उन्होंने वासनाओं तथा कामनाओं सहित अपने शरीर को क्रूस पर चढा दिया बौं (गला 5:24)।
दुनिया और उसकी सफलता जो खुशी देती है, उससे ऊँची और स्थाई खुशी ईसा के सहवास से हम अपना सकत्ते हैं और भोग सकते हैं । इसलिए ईश्वर ने हमें बताया है: पुत्र मेरी बातों पर ध्यान दो; तुमारी आँखें मेरे आचरण पर टिकी रहें (सूक्ति 23:26) । अपने विश्वास, पश्चात्ताप ॰ओंर आशा की भात्रा के अनुसार ईश्वर हमें मुक्ति के , मार्ग पर चलाएँगे । हम ईसा में नयी सृष्टि बन जायेगे। तुम्हारे विस्वास ने उद्धार किया है । ‘शान्ति प्राप्त कर जाओं (लूकस 7:50 )।
ईश्वर ने अपने प्यारे बेटे को मनुष्यों के पास भेजा, औरै वैसे हमारे प्रति अपना प्रेम प्रकट किया । अपने दु:ख भोग से भी प्रभु ने हम को प्यार किया । क्चन कहता है कि ईसा अपने लौकिक जीवन कीं वेला में उस ईश्वर को अश्रु और विलाप सहित प्रार्थनाएँ और माँगें चढार्मी. जो मृत्यु से उन्हें बचा सकते हैं । यद्यपि वे पुत्र थे फ भी अपने दू:ृख-भोग से उन्होंने विनम्रता का याठ पढा।
येशसेमनी बाग में ईसा ने तीव्र दर्दू के साथ अपने पिता से प्रार्धनाक्री । ‘पिता ! यदि लू ऐसा चाहे तो यह प्याला मुझ से एटा ले । फिर भी मेरी नहीं तेरी इच्छा पूरी हो’ (लूकस 22८ : 42) । तीव्र दु:ख की ठेला में उस पुत्र ने चाहा कि अपने पिता की चाहतें पूरी हाँ जाये , अत्त: उन्होने तहे दिल से प्रार्थना की । अपने दु:ख-मौग के रास्ते पर वह उसे बल प्रदान करती रही । ज्यो -ज्यो दर्द ज्यादा बढ गया त्यों त्यों वे तीव्रता से प्रार्थना कीं । उनका पसीना ता की बूंढों की भाँति धरती पर पकटता रहा (लूक्स 22 :44 ) ।
ईसा का पुनर्जीवन पिता द्वारा हमें दिया गया इनाम है । अपने दु:ख भोग और मृत्यु के ज़रिए, फिर पुनर्जीवन के जरीए पाप और मृत्यु पर आपने हर्मे जीत दिलायी। ‘में मर गया था । ओंर देखो में अनन्त काल तक जीवित रहूँगा। मृत्यु और अघोलोक की कुंजियाँ मेरे पास हैं (प्रका 1:10 ) । सन्त पौलुस ने पूछा है: मृत्यु! तेरा देश कहाँ है? (1 कुरिं 15 : 55) ।
इंसा ने मृत्यु को परास्त करके तीसरे दिन पुनर्जीवन पाया, वे सदा जिन्दा हैं और पाप और मृत्यु का हम पर कोई अधिकार न होगा, आपने यह घोषणां भी की। ईश्वर वचन बेशक हमें यह याद कराता है: आप लोग भी अपने को ऐसा हीं समझें पाप के लिए मरा हुअ! और ईसा मसीह में ईश्वर फे लिए जीवित (रोमि 6 :11) । इस हकीकत को सन्त पौलुस ने ठीक से समझ लिया आँ९’ फिर उनका कथन ध्यातव्य है । मैं अंब जीवित नहीं रहा, वल्कि मसीह मुझमें जीक्ति हैं । अब में अपने शरीर में जों जीवन जीता हुँ, उसका एकमात्र प्ररणा स्रोत है ‘ ईश्च२_कै पुत्र में विश्वश जिसने मुझे प्यार किया और मेरे लिये अपने को अर्पित किया (गला 2 : 20) ।
यह पहचान हमें मी मिले । पाप और मृत्यु को परारंतं करके उत्थान पाए ईसा मसीह को ईश्वर के रूप में अपने मन में स्वीकार करें तो बपतिस्मा के ज़रिए आप भी मसीह के साथ दफनाये गये और उन्हीं के साथ पुनर्जीवित भी किए गए हैं, क्योंकि आप लोगों ने ईंश्वर के सामर्ध्य में विश्वास किया, जिन्हें उन्हें मृतकों’ में से पुनर्जीवित किया ( कलो 2०12) । यह पवित्र वचन हममें सार्थक होगा। हम कदापि अधीर नं हीं निराश न हो और दु:ख-भोग और अवमानना तथा आखिर क्रूसी मृत्यु को क्षमा’पूर्वक स्वीकारे हमारे प्रभु ईसा के मुख मण्डल पर देख पायें । क्योकिं उनके मरण के सदृश मृत्यु में हम आप से एकजुट हो जायें और उनके पुनरुत्थान के सदृश पुनरुत्थान में भी उनकें समान रहें (इसा 25 : 8) । ठीक है, दु: ख, परीक्षाओं औरं कठिनाइयों से ‘भरी दुनिया में ही प्रभु चेन शान्ति हमें प्रदान करेंगे‘ (2 थेसल 1:16)। मृत्यु को परास्त करके उत्थान पाए ईसा मसीह हमें यह पवका वादा देते हैं 1 अत: हम. उन पंर दृढ आस्था रखें ,,,,,,,,,,,
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