विश्वास की रोशनी
हम सभी ईसाई खास ढंग से ईसा के द्वारा भेजे गये हैं। ईसा का सुसमाचार दुनिया की सीमा तक ले जाने का गंभीर दायित्व हमें मिल चुका है। भेजे जाने के विभिन्न पहलू है। इसका प्रथम पहलू जीवन में भेजा जाना है। विश्वास में भेजे जाने वालों के रूप में हमारे दायित्व और हमारी सार्थकता यहाँ मुख्य विषय है।
दनिया मे कई धर्म और विश्वास नज़र आते हैं। मगर हमे जो विश्वास मिला है, उस की सार्थकता, मुख्यता और खासियत का पता हमें होना चाहिए। समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा मनुष्यों को कोई दुसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है (प्रे.च 4:12) । हम इस बात पर अभिमान करें और खुशी मनाएँ कि हमें सत्यविश्वास मिला है। ईसा ने जो सत्य दिये, वे ही दुनिया की रोशनी का कारण हैं इसलिए ईसा ने यह पढाया, संसार की ज्योति मैं हूँ (योहन 8 : 12) । जंगली कानूनों को सुधार कर मानव जीवन के सामने आशा और आत्मसम्मान का पथ प्रशस्त करके दुनिया को खुशी और ऐश्वर्य ईसा ने ही दिया । सत्यान्वेषी गाँधीजी जैसे व्यक्ति ने इस सत्य की घोषणा की है, उसे ठुकराने में हम असमर्थ हैं । उनके मत में ईसा के ज़माने तक जो कनून कायम था आँख के बदले आँख वह आगे भी लागू करें तो दुनिया भर में अन्धे लोगों की संख्या बढेगी । अत: दृष्टिवाले लोगो की दुनिया ईसा की देन है । ‘अपने जैसे अपने पडोसी को भी प्यार करो’- ईसा के इस उपदेश ने दुनिया को ज्योति दी और हृदय को आन्तरिक दृष्टि दी, जीवन को सार्थकता दी ।
आधुनिक संस्कृति, यूरपीय संस्कृति आदि नाम से जो संस्कृति बुलायी जाती है, वह वस्तुत: ईसाई समाजों की देन है । ईसाई समाजों के आगमन के पहले यूरप के लोग जंगली (barbarians) बुलाये जाते थे । उन्हें ईसा के प्रेम-सन्देश ने संस्कृतचित्त बनाया । वे जहाँ कहीं पहुँचे वहाँ यह महान सन्देश भी दिया गया । उसके प्रकाश में आलोचना की तो पता चला कि तब तक जिन्हें पवित्र और सच्चा मानते थे, वे तत्व अन्धविश्वास और झूठ थे तथा उन्हें सुधारने की प्रेरणा मिली । जहाँ-कहीं ईसा की रोशनी पहुँची, वहाँ यह सुधार भी हुआ। इतिहास इसका साक्षी है । ईसाई तत्व परिवर्तन लाने में समर्थ है। क्योंकि ईसा ज्योति है। जब ज्योति आती है तब अन्धेरा दूर हो जाता है।
तुम दुनिया की ज्योति हो (मत्ती 5:14), ईसा ने हमारे बारे में कहा हें । इसका मतलब कया है? जैसे ईसाने ज्योति प्रदान की वैसे हम विश्वास की ज्योति फैलायें । हम सच्चा मार्ग दिखायें, पथप्रशस्त करें। विश्वास भ्रातृप्रेम, सेवा-शुश्रुषा तथा बंटवारे की जिन्दगी की ओर हमें ले जाते हें । जब विश्वास सजीव हो जाता है, तब ज्योति प्रदान करने के लिए लायक हर अवसर का हम सदुपयोग करेंगे । तब दु:ख और त्याग हमें मीठे अनुभव होंगें । क्योंकि मेरा जुआ सहज है और मेरा ‘ बोझ हल्का (मत्ती 11:30) । जब विश्वास का उत्साह काम है तब हर काम भारी लगेगा ,कडुआ लगेगा। ऐसे जीवन भारी मालूम होगा । ऐसे व्यक्तियों का कर्म निभाने की शक्ति न होगी । जीवन में उत्साह या आनन्द तथा जीवन में आगे बढने की प्रेरणा या संतृप्ति न होगी । वे हमेशा दु:खों का मनुष्य’ होंगे। वे खुद बोझ होंगे । तब तो दूसरो के लिए क्या होगा?
धर्म और विश्वास के बारे में आध्ययन करने वाले कुछ व्यक्ति हर ज़माने में हुए हैं । वे आखिर ईसाई विश्वास मे पहुँचते हैं । क्योंकि वे पहचानते हैं कि ईसा दुनिया की ज्योति हैं । वे उस ज्योति का आलिंगन करते हैं। वे जीवन में ईसा के प्रभाव के फल भोगने लगते है । अपने फैसलों के प्रति उन्हें कदापि पछताना न पडा। सत्यं को ढूँढ निकालने के प्रति वे आनन्दित होते हैं । दु:ख और कठिनाइयाँ उन्हें ज्यादा विश्वास में सुदृढ रहने क्री प्रेरणा देती हैं ।
इसका उलटा पक्ष भी है । दूसरे व्यक्ति हमारे बारे में क्या सोचते हैं । एक अधेड उम्र के व्यक्ति ने कुछ दिनों के पहले कहा कि 90 प्रतिशत ईसाइयों को विश्वास नहीं के बराबर है । इस प्रकार सोचने की प्रेरणा ईसाइयों ने ही दी होगी । अन्दर चाकू और बाहर भक्ति’ लिये चलने वाले होते हैं । यदि हमारा विस्वास सतही है तो हम ज्योति नहीं प्रदान कर पाएँगे । ऐसे व्यक्ति किसी -न-किसी विषय पर फरियाद करते फिरेंगे । भक्ति का ढोंग दिखा कर वे दूसरों को धोखा देंगें । ऐसे अन्धे व्यक्तियों से संचालित व्यक्ति भी गड्ढे में गिर जायेंगें ।
आज दुनिया भर में कई व्यक्ति ईसाई विश्वास में आ जाते हैं। विश्वास की ज्योति तेज़ होने लगा हे । किसी ने उनके सामने ईसा की ज्योति रखी हें । जो अन्धेरे में वास कर चुके हैं, वे ही रोशनी का मूल्य समझ सकते हैं । 40 साल तक विश्वास को रोकने के लिए तुपाक्की का इस्तेमाल किए रूस की हालत कया हैं? मन्दिर खोले गये । लोग विश्वास के साथ प्रार्थना करने आते हैं । पोलैण्ड और कोरिया का इतिहास भी इससे भिन्न नहीं । चीन का परिवर्तन दुनिया कौतूहल के साथ देख रही हैं । 2040 तक दुनिया भर में ज्यादा ईसाइयोंवाला देश चीन होगा, निरीक्षकों का यही मत है । छोटी सी चिनगारी भारी अग्निकुंड हो सकती हें; खास कर अनुकूल माहौल पर ।
आज जो अपने को विश्वासी मान बैठे हैं, वे अपने आप को परखें, हमारा विश्वीस कहाँ तक है? विश्वास को पालने ओर विश्वास में कायम रहने के लिए हर कोई क्या करता है? क्या हम अपने विश्वास दूसरों को दे सकते हैं? अपने प्रभाव से किसी के विश्वास की क्षति हुई है, विश्वास घट गया है? इस प्रकार कई बातों की जांच करें ।
जो खुद विश्वास में पलना चाहते हैं, उनके बारे में भी कुछ कहना पडता है । विश्वास के विकास के लिए हम रोज़ प्रार्थना करें । विश्वास के विरुद्ध कर्मी को छोडना चाहिए । विश्वास संबन्धी शंकाओं का निवारण उचित व्यक्तियों से करायें । विश्वास के लिए जो शहीद बने हैं, उनका आदर करें, उनकी जीवन का अध्ययन करें। विश्वास को अभिमान की चीज़ मानें, जहाँ विश्वास की घोषणा चलती है, वहाँ सजीव ढंग से भाग लें । विश्वास जीवन के घातक तत्वों से अलग रहें । विश्वास एक चिनगारी, के रूप में हमें मिला है । यदि ध्यान नही दें तो वह बुझ जायेगा । यदि ध्यान दें तो उसे फूंक कर बडी ज्योति बना सकते हैं, जिससे कई व्यक्ति रोशनी पा सकेंगे ।
प्रभु की आज्ञा हमारे मन में हो, उसी प्रकार तुम्हाऱी ज्योति दूसरों के सामने चमकती रहे , जिससे वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारी स्वर्गिक पिता की महिमा करें (मत्ती 5 : 16) । ईसा की यह आज्ञा जहाँ-कहीं अमल में लायी गयी है वहाँ काफी़ परिवर्तन भी हुए हैं । जैसे सन्त पौलुस ने कहा, ‘मैं अच्छी लडाई लड चुका हूँ, अपनी दौड पूरी कर चुका हूँ और पूर्ण रूप से ईमानदार रहा हूँ ,इस प्रकार हम भी बता सकें । उतना ज्यादा विश्वास हमारे लिये प्यारा हो ।
Light of Faith in Good Jesus
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