विशुद्धि पाने का पुण्य – काल
आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्वभाव त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगडता जा रहा है (एफे4:22)। ईसा मसीह के दु:ख-भोगों के बारे में मनन करते हुए उनकी मुक्तिदायिनी करनियों का फल हर व्यक्ति के जीवन में अनुभव करने का सुनहला मौका है, चालीसा का समय। वह शाक्तीकरण का समय है। इस चालीसा दिनों के उपवास और प्रार्थना से आध्यात्मिक ढंग से मज़बूत हो गये। हमें भी इस प्रकार आध्यात्मिक शक्ति पानी है, अत: हम ईश्वर से जुडकर चालीसा का समय बितायें।
हम अपने जीवन काल में जानेअनजाने किये-धरे पापों के बारे में पश्चात्ताप करें और उपवास व प्रार्थना के ज़रिए प्रायश्चित्त, इसके लिए चन्द पुण्यदिन चालिसा के रूप में हमें मिलते हैं। मेरा पश्चात्ताप ही मेरा बलिदान होगा। तू पश्यात्तापी दीनहीन ह्रदय का तिरस्कार नहीं करेगा (स्तोत्र 51:19)। हमें यह परख कर देखना है कि प्रभु कितने भले हैं। हम अपने पापों और कमियों को आँसु सहित ईश्वर के सामने पेश करें और विशुद्धि पायें, इनके लायक समय है, यह। मुझे तुम से शिकायत यह है कि तुमने अपना पहला धर्मोत्साह छोड दिया है। इस पर विचार करो कि तुम कित्तने ऊँचे स्थान से गिरे हो (प्रकाशन 2:4-5)। हम एक बात समझ लें।हमारी अपनी आसक्तियों, पाप-स्वभावों का फायदा उठा कर शैतान हमें बार-बार पाप-मल में डुबो देता है। जो निरन्तर जागरूक होकर प्रार्थना करते हैं, वे ही शैतान के सके खिलाफ संघर्ष कर सकते हैं। प्रार्थना के सिवा और किसी मार्ग से यह वर्ग बाहर नहीं जाता। प्रार्थना और उपवास के सिवा और किसी उपाय से यह जाति नहीं निकाली जा सकती (माप्रुल 9:29)।
अत: हम पाप-मार्गों को छोडें, जो ईश्वर की पसन्द के खिलाफ है। सुअरों के अड्डे के मल से दुर्गन्ध से खोया हुआ बेटा पश्चात्ताप के अश्रु बहाते हुए, पिता के पास वापस आया। इस प्रकार की वापसी हमें भी करनी है। प्रभु सप्रेम हमसे कहते हैं – पुत्र क्या तुमने पाप किया है? तो फिर ऐसा मत करो और अपने पुराने पापों केलिए क्षमा माँगो (प्रवक्ता 21:1)। याद करें, जो सुध -बुघ खो चुके हैं, वे सुध-बुध में लौट आएँ, इसके लायक महोन्नत समय है, चालीसा।
चालीसा अपने जीवन के बीते दिनों की ओर मुड कर देखने का समय है। जीवन यात्रा में मुझे गलती हुई होगी। मगर क्षण भर में हम इससे बच सकें और अपने को सुधार पायें। मैं पक्का और भलेमानस हूँ, इस फरीसी मनोभाव से हट कर विनम्रता पूर्वक सोच सकें कि मुझमें कई कमियाँ हो सकती हैं। ठीक है, चालीसा के वक्त हम एक नये-व्यक्तित्व के मालिक बन जायें।
यदि मुझे एक नया मनुष्य बनना है, ईश्वर वचन का फल मुझ में लगना है तो अपने मन में बढते कांटेदार पेडों को जड से दूर फेंकना है। एक पल हम खुद सोचें। मेरी इच्छा क्या है? इस दुनिया की अस्थाई खुशियाँ? या नित्यजीवन? यदि नित्यजीवन हमारा लक्ष्य है तो ईश्वर पुत्र ईसा की मदद से पाप के रास्ते छोडें ओंर विशुद्धि के राज पथ पर आयें। रात प्राय: बीत चुकी है, दिन निकलने को है, इसलिए हम, अन्धकार के कर्मों को त्याग- कर ज्योति के शस्त्र धारण कर लें (रोमा 13:12)।
जो उपवास नहीं करते और विशुद्धि के साथ चालीसा का आचरण नहीं करते, वे चालीसा की समाप्ति का हर्ष और आनन्द नहीं मना सकते। उनके संबन्ध में एक निरर्थक आचरण मात्र है, चालीसा। दुनिया की खुशियों और सुख-भोगों को चन्द दिनों के लिए सही हम दूर नहीं कर सकते। चालीसा के बाद मद्य की बोतलों तथा अन्य साज-सज्जा के साथ मनाने वाले होते हैं, जो केवल भोगी हैं। जिन्होंने सही ढंग से चालीसा का आचरण किया है, उनके मन में ईसा के उत्थान और उसकी खुशी का अनुभव मिलता है। जो पवित्र नियमों का श्रद्धा पूर्वक पालन करते है वे पवित्र माने जायेंगे (प्रज्ञा 6:10)।
संपत्ति तथा जीवन सुविधाओं के लिए जो दौड- धूप करके थक चुके हैं और हमेशा व्यस्त रहते हैं, वे चालीसा के वक्त अपनी आत्मा और मुक्ति के बारे में सोच कर मनन करें कि चाहे हम ज्यादा दौड-धूप करें, किन्तु ईश्वर हमारे लिए काम नहीं करते तो सब बेकार होंगे।
यदि प्रभु ही घर नहीं बनाये, तो राज मिस्त्रियों का श्रम व्यर्थ है। यदि प्रभु ही नगर के नहीं करे तो पहरेदार व्यर्थ जागते है (स्तोत्र 127:1)। कलीसिया ने हमें चालीसा का वक्त फुटकर दिया है तो लक्ष्य है कि हम लौकिक जीवन व्यस्तताओं से दूर रहें।
अत: ईश्वर के यहाँ विश्राम ले बायें, इसके लिए नये मनुष्य का रूप धारण करें, पाप मलों से बचे इस चालीसा का समय पापों को धोकर शुद्धि पाने का समय हैं। इसलिए हम कसम खायें। मैं अपनी आँखों के सामने कोई भी बुराई सहन नहीं करूँगा। मैं पथ भ्रष्टों के आचरण से घृणा करता हूँ, वह मुझे आकर्षित नहीं कर सकता। मैं अपने को कुटिलता से दूर रखूँगा। मैं बुराई की उपेक्षा करूँगा (स्तोत्र 101:3-4)। चालीसा के आचरण से हम जीवन -विशुद्धि पायें, जो पूरे जीवन काल में जारी रख पायें। इस महान कृपा के लिए हम प्रार्थना करें। साँप के सामने की तरह पाप से दूर भाग जाओ (प्रवक्ता 21:2)।
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