वर्ष का 18 वाँ सामान्य रविवार— संत यूसेवियुस ( भक्तिभूषण ) ।
सुसमाचार : सन्त मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:22-36पहला पाठ : नबी इसायह का ग्रन्थं 55:1-3दुसरा पाठ ; रोंमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 8:35,37-39
Gospel For Today 02/08/2020 पहला पाठ : नबी इसायह का ग्रन्थं
55:1-3
“तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के पास चले आओ। यदी तुम्हारे पास रुपया नहीं हो, तो भी आओ।
मु़फ्त में अत्र ख़रीद कर खाओ,दाम चुकाये बिना अंगुरी और दूध ख़रीद लो।
जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम अपना रुपया क्यों खर्च करते हो?
जो तृप्ति नहीं दे सकता है, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो?
मेरी बात मानो।
तब खाने के लिए तुम्हें अच्छी चीजें मिलेंगी और तुम लोग पकवान खा कर प्रमन्न रहोगे।
कान लगा कर सुनो और मेरे पास आओ। मेरी बात पर ध्यान दो और तुम्हारी आत्मा को जीवन प्राप्त होगा।
मैंने दाऊद से दया करते रहने की प्रतिज्ञा की थी।
उसके अनुसार मैं तुम लोगों के लिए एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा।
Gospel For Today 02/08/2020 दुसरा पाठ ; रोंमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र
8:35,37-39
कौन हम को मसीह के प्रेम ये वंचित कर सकता है? क्या विपत्ति या संकट? क्या अत्याचार,भूख,नग्नता,जोखिम या तलवार? किन्तु इन सब बातों पर हम उन्हीं के द्वारा सहज ही विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमें प्यार किया। मुझे ट्टढ़ विश्वास है कि न तो मरण या जीवन, न स्वर्गदूत या नरक-दूत, न वर्तमान या भविष्य , न आकाश या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के उस प्रेम से वंचित कर सकता है, जो हमें हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा मिला है।
Gospel For Today 02/08/2020 सुसमाचार : सन्त मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार
14:22-36
” ईसा यह समाचार सुन कर वहाँ से हट गये और नाव पर चढ़ कर एक निर्जन स्थान की ओर चल दिये । जब लोंगों की इसका पता चला, तो वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उनकी खोज में चल पडे। नाव से उतर कर ईसा ने एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया और उन्होंने उनके रोगियों को अच्छा किया।
संध्या होने पर शिष्य उनके पास आ का बोले, ” यह स्थान निर्जन है और दिन टल चुका है । लोगों को विदा कीजिए, जिससे वे गाँवों में जा का अपने लिए खाना खरीद लें ।” ईसा ने उत्तर दिया, “उन्हें जाने की जरूरत नहीं। तुम लोग ही उन्हें खाना दें दो। ” इस पर शिष्यों ने कहा, ” पाँच रोटियों और दो मछलियों के सिवा यहाँ हमारे पास कुछ नहीं है ” ।
ईसा ने कहा, “उन्हें यहाँ मेरे पास ले आओ” । ईसा ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दे कर, वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ ले ली । उन्होंने स्वर्ग की ओर आँखें उठा कर आशिष की पार्थना पढी और रोटियाँ तोड़-तोड़ कर शिष्यों को दीं और शिष्यों नें लोगों को। सबों ने खाया और खा का तृप्त ही गये, और बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरे मर गमे । भोजन करने वालों में स्त्रियों और बच्चों के अतिरिक्त लगभग पाँच हजार पुरुष पै ।
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