Jesus King

 

ईसा राजा   – JESUS KING

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     प्रभु का आत्मा उस पर छाया रहेगा, प्रज्ञा तथा बुद्धि का  आत्मा,सुमति और धैर्य का आत्मा, ज्ञान तथा ईश्वर पर श्रध्दा का आत्मा। वह प्रभु पर श्रध्द रखेगा। वह न तो जैसे-तैसे न्याय करेगा और न सुनी-सुनायी के अनुसार निर्णय देगा। वह न्यायपूर्वक दीन-दृ:खियों के मामलों पर विचार करेगा और निष्पक्ष होकर देश में दरिद्रों को न्याय दिलायेगा।वह अपने शब्दों के डण्डे से अत्याचारियों को मारेगा और निर्णयों से कुकर्मियों को मारेगा। वह न्याय को वस्त्र की तरह पहनेगा और सच्चाई को कमरबन्द की तरह धारण करेगा (इसा 11: 2-5)। न्यायनिष्ठ एक राजा में जो भी गुण हों वे सब इस राजा मे देख सकते हैं।

      ऐसी भविष्यवाणी गणना ग्रन्थ में भी हम देख सकते हैं। याकुब के वंश में एक तारे का उदय होगा, इस्राएल के वंश में एक राजा उत्पत्र होगा’ (गणना 24:17)। यह भविष्यवाणी ईसा और ईसा के राजत्व के बारे में हैं।
     पूर्व में तारा देख कर ईसा को ढूँढते हुए मेलकियोर, कास्पल और बलतासर- ये ज्ञानी ज्योतिषी आये और वे राजा हेरोद से बोले- यहूदियों का नवजात राजा कहाँ है? हमने उनका तारा उदित होते देखा। हम उन्हें दण्डवत् करने आये हैं (मत्ती 2:2)। ये तीन ज्ञानी ज्योतिषी राजा, राजा हेरोद से ईसा के राजत्व की घोषणा करके बेथलेहेम की और चले।
    आम तौर पर राजाओं का स्थानारोहण धूम-धाम से मनाया जाता है। यहाँ राजाओं के राजा ईसा मसीह का राजत्व हम एक पशुशाला में वह भी बोधज्ञान की गद्दी मरियम की गोदी पर शिशु के रूप में ही देखते हैं। सुसमाचार सुनाने आए पैगम्बर गब्रियेल को तथा उनके साथ प्रकट होकर ईश्वर की स्तुति करते हुए सर्वोच्च में ईश्वर को महत्व हो,पृथ्वी पर ईश्वर की कृपा पाने वालों को शान्ति मिले ऐसे गाने वाले स्वर्गीय फौज को देखने का सौभाग्य चरवाहों को मिला, इन्हें तथा ज्योतिषी रजाओं को ही ईसा के समारोह में भाग लेने का अवसर मिला ।
     ये चरवाहे ओर राजा हमारे ही प्रतीक हैं । ईसा को देख कर उनका स्पर्श करने के बाद उन्हें ईश्वर अपने नाश के (हेरोद के )पुराने सस्ते पर जाने नही दिया । उन्होंने जिस ईसा को देखा और अनुभव किया, उन्हें अपने देश और कर्मक्षेत्र में घोषणा करने का कर्तव्य उन्हें दिया गया । वे नये रास्ते से वापस चले ।
      राजा ईसा पक्की विनम्रता से गधे पर बैठ कर येरुशालेम की और राजकीय प्रवेश करते हैं। लोग नारा लगाते रहे- होसन्नना! धन्य है वह जो प्रभु के नाम पर आते हैं , धन्य है , इस्राएल का राजा (योहन 12:13)।
    इतिहास भर में पाँच रोटियों और दो मछलियों से पाँच हजार लोगों को बाँटने वाले के रूप में केवल ईसा नज़र आते हैं । लोग ईसा का चमत्कार देख कर बोल उठे, निश्चय ही वे नबी है, जो संसार में आनेवाले हैं। ईसा समझ गये कि वे आकर मुझे राजा बनाने के लिए पकड ले जायेंगे, इसलिए वे फिर अकेले ही पहाडी पर चले गये (योहन 6: 14-15)। क्योंकि ईसा राजा ही थे। ईसा के हर शब्द में, महान कर्मों में राजत्व चमक उठता था । जो ईसा की हत्या के लिए माँगते थे तथा जो ईसा को बन्दी बनाने आये थे वे तथा गवर्नर पीलातूस- जिसने ईसा की हत्या करने का फैसला लिया- ये सब- के सब खुल कर बताते थे कि ईसा राजा ही है । जाने या अनजाने उन्होंने यह घोषणी की, तथा उनको मान्यता दी इसका चित्र योहन के सुसमाचार के अन्तिम अध्यायों में हम देख सकते हैं। ये वचन हमें याद कराते हें कि ईसा का राजत्व, उनके दृ:ख- भोग और क्रूसी मृत्यु में स्पष्ट होता है । ईसा सभी युगों के पहले होता था। अपने बनाये मनुष्यों के हाथों में, सबों के पाप- प्रायश्चित्त के लिए अपने आप को दृ:ख-भोग और क्रूसी मृत्यु के लिए आपने सौंप दियाऊ तब तो प्रेमस्वरूपी सशक्त सत्य रूपी यथार्थ राजा को हम ईसा में देखते हैं।
     उनमें से एक ने, जिसका नाम कैफस था और जो उस वर्ष का प्रधानयाजक था ; उन से कहा: आप लोगों की बुद्धि कहाँ है? आप यह नहीं समझते कि हमारा कल्याण इसमें है कि जनता के लिए एक ही मनुष्य मरे और समस्त राष्ट्र का सर्वनाश न हो । उसने यह अपनी ओर से नहीं कही। उसने उस वर्ष के प्रधानयाजक के रूप में भविष्यवाणी की कि ईसा राष्ट्र के लिए मरेंगे… उसी दिन उन्होंने ईसा को मार डालने का निश्चय किया (योहन 11:4२-53) । पुराने विधान में वर्णित मुक्तिदायक राजा ईसा ही है, केफस इस भविष्यवाणी से घोषणा कर रहे थे।
     तब पीलातूस ने फिर भवन में जा कर ईसा को बुलावा भेजा और उनसे कहा, क्या तुम यहूदियों के राजा हो? ईसा ने उत्तर दिया, क्या आप यह अपनी ओर से कहते हैं या दूसरों ने आपसे मेरे विषय में यह कहा है? (योहन 18:33-34) ।
   ईसा के इस सबाल का गहरा अर्थ है- मेरे संबन्ध में तुम्हारा ज्ञान जिस किसी प्रकार का क्यों न हो, मैं राजा ही हूँ । पीलातूस ने पहले घोषणा की कि ईसा राजा है, धर्मी और निरपराधी है, किन्तु उसे अपने राजनैतिक भविष्य के बारे में खूब आशंका थी, इसलिए वे ईसा को चाबुक से मार कर सेनिकों के हवाले कर देता है (योहन 19:15)।
     सैनिकों ने ईसा का वस्त्र उतार कर एक लाल चोंगा पहनाया, एक कांटेदार मुकुट सिर पर पहनाया, दाहिने हाथ पर सरकण्टा भी दिया , उनके सामने घुटनों के बल पर खडे होकर कहा , यहूदियों के राजा! आप की स्तुति हो ‘और ऐसे उनकी हँसी उडायी। उन्होंने इस प्रकार बर्ताव किया तो  भी वे जाने- अनजाने ईसा को  राजा घोषित करते थे।
      पीलातूस ने ईसा के क्रूस के ऊपर एक शीर्षक की स्थापना की। वह इस प्रकार था, ‘नाज़री ईसा, इस्राएलियों के राजा ‘। यह शीर्षक पढ कर याजकीय मुख्यों ने इस पर शिकायत की। ‘ आप यह नहीं लिखिए यहूदियों के राजा बल्कि इसने कहा कि मैं यहूदियों के राजा हूँ। पीलातूस ने कहा , मैं ने जो लिखा दिया ,सो लिख दिया है’ (योहन 19:21-22)। यहाँ हम देखते हैं, ईसा को मृत्युदण्ड देने का अधिकार जिस पीलातूस को होता था, उसके फैसले के हर शब्द में ईसा राजो है, यहूदियों के राजा है, यह घोषणा नज़र आती  है । इसी प्रकार शतपति और दल; उन्होंने ईसा की मृत्यु देखी और खुद घोषणा की कि सचमुच ईसा ईश्वर ही थे (मत्ती 27 :54)।
     मरे ईसा की पवित्र जड करीब पचास सेर के सुगन्ध द्रव्यों के साथ कपडे में लपेट कर पास के बाग के एक कब्र में रखी, अब तक किसी को उस कब्र में न रखा गया था (योहन 19:39- 42)। पचास सेर गन्धरस नयी कब्र तथा बाग आदि ईसा के राजकीय अंतिम संस्कार की सूचना दे रहे हैं।
      पुराने-विधान से लेकर ईसा का जन्म , खुला जीवन, दु:ख-भोग और क्रूसी मृत्यु के ज़रिए हमने उनके राजत्व को देखा। दु:ख-भोग और क्रूसी मृत्यु को परास्त कर उसने तीसरे दिन पुनर्जीवित हुए। फिर वे दुनिया में फैल कर कर्मनिरत हुए वे सभी लोगों के राजा हुए, प्रकाश हुए,एकमात्र रक्षक हुए, इम्मानुएल हो गये। ईसा मसीह कल,आज और आनेवाले कल एक ही है (इब्रा 13:8)

ईसा राजा है। राजाओं के राजा। 

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