जीवन का अनमोल वचन -Jesus

 

जीवन का अनमोल वचन -Jesus


जीवन का अनमोल वचन – Jesus

जीवन का अनमोल वचन इस प्रकार ईसा का अनुभव है  की  उसे दूसरों को बाँट देना पडता है। इसलिए प्रेरितों ने ईसा का अनुभव करके प्रतिकूल था और वह इस बात कर का प्रमाण देकर कि ईसा ही मसीह है, दमिश्क में रहने वाले यहूदियों को असमंजस में डाल देता था’ (प्रे.च 9:22)। ईसा को जानने के पहले ईसाइयों को यंत्रणा देने में साऊल आगे थे।

     दुनिया को थर-थर कंपाने वाले, साम्राज्य के विस्तार के लिए कई राष्ट्रों पर कब्जा किये नेपोलियन बोणपार्ट ने अपने जीवनानुभव से इस प्रकार बताया -ईश्वर और पवित्र ग्रन्थ को जो ठुकराता है, उन्हें प्रभावित करने में समर्थ जीवसृष्टि है – पवित्र ग्रन्थ।

    इग्नेशियस लयोला को पहले ईश्वर और पवित्र ग्रन्थ के प्रति ज्यादा लगाव न था, किन्तु जब युद्ध में घायल होकर अस्पताल में लेटते वक्त उन्होंने सोचा कि पढने को कोई ग्रन्थ मिले, वहाँ उन्हें पवित्र ग्रन्थ मिला, फिर सन्तों की जीवनी से युक्त और एक पुस्तक। इग्नेसियस को और कोई उपाय न था ओर उन्हें बाइबिल पढनी पडी- इस वक्त एक वचन उनके दिल को बेध गया- मनुष्य को इससे क्या लाभ यदि वह सारा संसार प्राप्त कर ले, क्रिन्तु अपना जीवन ही गाँवा दे (मत्ती 16:26)। ईसा के इस वचन ने इग्नेशियस लेयोला के जीवन को एकदम बदल लिया। जिस वचन से उनमें कायापलट हुई, उसका इस्तेमाल करके बडे अमीर रहे फ्रान्सीस सव्यर के जीवन को ईसा के अनुकूल बनाने के लिए आपने इस्तेमाल किया। 

      पहले इग्नेशियस लयोला तथा ईश्वर-वचन को मानने को फ्रान्सीस सेव्यर तैयार नहीं हुए। मगर ईश्वर के जीवन्त वचन से धीरे-धीरे उनमें बदलाव लाया गया। चाहे एक व्यक्ति सारी दुनिया को प्राप्त कर ले, किन्तु उसके आत्मा नष्ट हो जाये तो क्या प्रयोजन है? इस वचन के प्रभाव ने फ्रान्सीस सेव्यर को अपनी तथा अन्य कई व्यक्तियों की आत्माओं की रक्षा केलिए निकलने को समर्थ बनाया। ईसा के वचन से प्रेरित हो कर प्रतिकूल माहौल की परवाह किए बिना भारत और केरल आये और प्रेरिताई सेवायें की। बारिश, बरफ या धूप की परवाह किए बिना वे ईसा के लिए जी कर वे मरे, कई सदियों के बाद भी आपकी जड सडी नही है, जिसे गोआ में सुरक्षित रखा है। इस प्रकार ईसा का अनुभव किए हजारों व्यक्ति दुनिया भर में ईसा के लिए कर्मरत है।

    जीवन का अनमोल वचन ईश्वर वचन को जाने यिरमियाह और दाऊद इस प्रकार कह चुके हैं- मुँह में टपकने वाली मधु की अपेक्षा तेरी शिक्षा मेरे लिए अघिक मधुर है (स्तोत्रं 119:103)। ‘तेरी वाणी मुझे प्राप्त हुई और मैं उसे तुरन्त निगल गया। वह मेरे लिए आनन्द और उल्लास का बिषय थी; क्योकि तू ने मुझे अपनाया, विश्वण्डल के प्रभु ईश्वर’ ! (यिरमि 15:16) । ईश्वर का वचन हमें सत्य, पश्चात्ताप,विश्वास,विशुद्धि, सौख्य, खुशी, आशा, भलाई और जीवन में सदा चलाता है। हम इन जीवन्त वचनों पर आसरा रखें। ईसा ने केहा, मेरी भेडें मेरी आवाज़ पहचानती हैं ; मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती है। मैं उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करता हूँ। उनका कभी सर्वनाश नहीं होगा और उन्हें मुझ से कोई नहीं छीन सकेगा (योहन 10:27-28) ।

Jeevan ka Anmol Vachan — Jesus

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